शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

खामोश तबाही

  

माना दिल टूटने की आवाज नहीं होती 

तो क्या उसमें तबाही नहीं होती  💔

नहीं जरूरी शोर हो तबाही का हमेशा 

क्या यह ताकत खामोशी में नहीं होती

सुनाई होगी शोर की तबाही तो सब ने बहुत 

खामोश तबाही के  जुबान नहीं होती 

सुने होंगे शोर तबाही के मंजर के बहुत 

खामोश तबाही तो बया निगाहों से होती 👁




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यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में