शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

उलझन

 😇क्यूँ रहती है इतनी उलझन       😨

😇उलझन भी उलझ उलझ जाती   😨

😇उलझन को जब सुलझाना चाहो😨

😇सुलझन भी उलझ कर रह जाती😨

😇कैसे सुलझे उलझन ये बोलो     😨

😇राज इस उलझन के खोलो       😨

😇उलझन से सुलझन निकलती    😨

😇या सुलझन में उलझन है बोलो  😨


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दर्द भरी यादें

यादों का भी होता है पुनर्जन्म,  तर्पण कर देने के बाद भी होती है पुनरावर्तित स्मृति में जाती है जन, पुन:पुन:  हृदय के गर्भ  में